सजीवन लाइफ की मुहिम! बायोचार के सहारे हरियाली की राह पर भारत, कचरा बना खेती के लिए वरदान

सजीवन लाइफ की मुहिम! बायोचार के सहारे हरियाली की राह पर भारत, कचरा बना खेती के लिए वरदान

सजीवन लाइफ गुजरात के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बायोचार तकनीक से खेती और पर्यावरण में बदलाव ला रही है. यह संगठन किसानों को मुफ्त बायोचार देकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ा रहा है और रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रहा है. यह एक प्रेरणादायक पर्यावरणीय पहल है.

गुजरात के कच्छ और बनासकांठा जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में एक प्रेरणादायक बदलाव हो रहा है. सजीवन लाइफ, नीतू बेन के नेतृत्व में, बायोचार की शक्ति के माध्यम से टिकाऊ विकास की मशाल लेकर चल रही है. यह संगठन बायोमास कचरे के प्रबंधन, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन का समाधान देने के लिए बायोचार जैसे पुराने लेकिन आधुनिक समाधान को सफलतापूर्वक लागू कर रहा है.

बायोचार एक स्थिर, कार्बन समृद्ध पदार्थ है जो कृषि अवशेषों और लकड़ी जैसे बायोमास को कम ऑक्सीजन में गर्म करके बनाया जाता है. इसे मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उर्वरता, जल धारण क्षमता और सूक्ष्मजीवों की सक्रियता में वृद्धि होती है. साथ ही यह वातावरण से कार्बन को सोखकर मिट्टी में लंबे समय तक सुरक्षित रखता है.

सजीवन लाइफ बायोचार उत्पादन में दोनों पारंपरिक (जैसे कोनटिकी तकनीक) और आधुनिक पायरोलाइज़र का उपयोग कर रही है. संगठन ने प्रोसोपिस जुलीफ्लोरा जैसे आक्रामक प्रजातियों के बायोमास को उपयोगी बायोचार में बदलने की अनूठी पहल की है. इसी तरह कपास के डंठल, जो सामान्यतः खुले में जलाए जाते हैं, उन्हें भी अब पायरोलीसिस के माध्यम से बायोचार में परिवर्तित किया जा रहा है, जिससे प्रदूषण कम हो रहा है और मिट्टी की सेहत सुधर रही है.

यह पहल केवल पारिस्थितिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण आजीविका के लिए एक नई ऊर्जा बनी है. बायोचार निर्माण के माध्यम से कारीगरों, महिला समूहों और किसानों के लिए नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं.

2025 में, सजीवन लाइफ ने राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे चार नए राज्यों में बायोचार उत्पादन शुरू किया है. 2025–26 तक पूरे भारत को कवर करने की योजना है. सजीवन लाइफ 2025 में भारत में सबसे अधिक मात्रा में बायोचार उत्पादन करने वाला एकमात्र संगठन बन गया है.

कार्बन क्रेडिट योजनाओं का लाभ उठाते हुए, सजीवन लाइफ किसानों को मुफ्त में बायोचार प्रदान कर रही है. इससे न केवल छोटे किसानों की लागत कम हो रही है, बल्कि उन्हें मिट्टी सुधार की नई तकनीकों तक पहुंच मिल रही है. मिट्टी में कार्बन को मापने और ट्रैक करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया गया है.

जलवायु अभियंताओं और स्थिरता विशेषज्ञों के सहयोग से, सजीवन लाइफ ने बायोमास मानचित्रण, खेत परीक्षण, निगरानी उपकरणों और अनुप्रयोग विधियों में वैज्ञानिक नवाचार को शामिल किया है. हजारों किसान अब अपने खेतों में इसके प्रभाव को अनुभव कर रहे हैं.

सजीवन लाइफ की यह क्रांति केवल एक समाधान नहीं है, बल्कि भारत के लिए एक दृष्टि है — जहाँ गांव के लोग जलवायु के संरक्षक बनें, कचरे को संसाधन में बदलें, और पुनर्योजी खेती को जीवनशैली बनाएं. यह प्रमाण है कि जब लोग, प्रकृति और विज्ञान एक साथ कार्य करते हैं, तो बड़े पैमाने पर परिवर्तन संभव ही नहीं — बल्कि अब हो रहा है.

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